मुश्किलों से कह दो, मेरा खुदा बड़ा है', इबादत में छोटा लगने लगा दिन

मुकद्दस रमजान में रोजेदार पूरी शिद्दत के साथ इबादत कर रहे हैं। मुस्लिम परिवारों की दिनचर्या बदल गई है। अब सुबह सहरी के साथ दिन की शुरुआत होती है और रात में तरावीह के बाद ही रोजेदार कुछ घंटे आराम कर रहे हैं।
सहरी और इफ्तार में दस्तरख्वान के लिए बनाए जाने वाले पकवानों का सामान जुटाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। पहले जहां लॉकडाउन में दिन काटे नहीं कटता था अब इबादत में यह कब गुजर जाता है पता ही नहीं चलता।   


रोजेदारी के साथ कोरोना की जंग
हॉस्पिटल रोड के निवासी समी आगाई बताते हैं कि इन मुश्किल हालात में रोजा रखने के बाद सबसे बड़ा काम सहरी व इफ्तार का सामान जुटाना है। सेवइया और फैनी, खजला इस बार नहीं मिल पा रहे हैं। वह कोरोना फाइटर्स के रूप में भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। लोगों को सामान दिलवा रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित करवा रहे हैं। इन सब कामों के बीच इबादत के लिए भी वक्त निकालना है। ऐसे में इस बार के रमजान यादगार होने वाले हैं।